विज्ञान कहता है कि चंद्र ग्रहण सूर्य और चन्द्रमा के बीच में पृथ्वी के आ जाने से होता है | हालाँकि धार्मिक कथाओ में इसकी अलग वजह बताई गयी है | ऐसा बताया जाता है कि जब केतु चंद्र को ग्रसित करता है, तो चंद्र ग्रहण लगता है | और जब राहु सूर्य को ग्रसित करता है, तो सूर्य ग्रहण लगता है | सूर्य देव और चंद्र देव दोनों ही जीवन के प्रत्यक्ष देवता है, ऐसे में ग्रहण के चलते उनकी शक्ति क्षीण पड़ जाती है | जिस कारण नकारात्मक और आसुरी शक्तियां बढ़ने लगती है | इसीलिए शास्त्रों में चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण के बाद नकारात्मकता को दूर करने के कुछ उपाय करने की सलाह दी गयी है |
स्नान
शास्त्रों में ग्रहण के बाद स्नान करना बहुत ही आवश्यक बताया गया है | गुरु वशिष्ठ ने कहा था "पुत्र जन्म यज्ञे च तथा सक्रमणे रवेः। रहो श्च दर्शन कार्य प्रशस्तं नान्यथा निशि।।" अर्थात संतान के जन्म,सूर्य ग्रहण, चंद्र ग्रहण और यज्ञ के बाद स्नान अवश्य करना चाहिए | क्योंकि ग्रहण के समय वातावरण में हानिकारक किरणे होती है | इसीलिए उनसे बचने के लिए स्नान कर शुद्ध होना चाहिए |
साफ़ सफाई
चंद्र ग्रहण के बाद घर की साफ़ सफाई अवश्य करे | ग्रहण के बाद घर में गंगाजल का छिड़काव करे, भगवान की मूर्ति को गंगाजल से पवित्र करे और पूजा करे | इसके साथ ही भगवान को चंदन का टीका लगाए |
भोजन
चंद्रग्रहण के बाद बचे हुए भोजन का कभी सेवन नहीं करना चाहिए | आप बचे हुए भोजन को पशुओ को खिला दे | दूध घी से बनी वस्तुओ में आप तुलसी का पत्ता दाल दे | तुलसी का पत्ता नकारात्मकता को अवशोषित कर लेता है |
दान
चंद्रग्रहण के बाद दान का बड़ा महत्व बताया गया है | आप ग्रहण के बाद सफ़ेद वस्तुओ का दान करे | आप दूध, दही, चावल, सफ़ेद वस्त्र आदि का दान करे | साथ जरूरतमंद लोगो की मदद अवश्य करे |